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वर्धा में मरीजों के लिए 'डायल 108' बनी एक जीवन रेखा


  वर्धा (महाराष्ट्र)। राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए शुरू की गई एम्बुलेंस डायल 108 ’कोरोना अवधि के दौरान जिले के नौ हजार कोरोना रोगियों के लिए जीवन रेखा साबित हुई है। 

उल्लेखनीय है कि इस एम्बुलेंस ने चार साल में मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाया और मरीजों के इलाज में सफलतापूर्वक मदद की।  आज भी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन की पर्याप्त सुविधा नहीं थी।  इसलिए, मरीजों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों, जिला अस्पतालों या शहर के अस्पतालों में इलाज के लिए लाना मुश्किल काम था।  इस वजह से मरिजो जान को खोना पडता था।  हालांकि, एम्बुलेंस 108 ने स्थिति बदल दी।


 को जीवन दिया है। कोरोना महामारी के चलते जिले में तालाबंदी के बाद इन एम्बुलेंसों के महत्व को फिर से रेखांकित किया गया।  जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष और कलेक्टर विवेक भीमनवार के मार्गदर्शन में जिला सर्जन डाॅ. सचिन तडस, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ अजय डवले, मंडल क्षेत्रीय प्रबंधक  प्रशांत घाटे और जिला प्रबंधक प्रतीक मून और अन्य लोगों ने उपलब्ध एम्बुलेंस की योजना बनाने का एक बड़ा काम किया। दिसंबर 2020 तक वर्धा जिले के नौ हजार कोरोना मरीजों को एम्बुलेंस द्वारा सफलतापूर्वक अस्पताल में भर्ती कराया गया।  इसलिए, 108 एम्बुलेंस रोगियों के लिए एक जीवन रेखा बन रही है। वर्धा जिले में निजी एम्बुलेंस डायल 108’ एम्बुलेंस का कोविड 19 की पृष्ठभूमि पर सभी एम्बुलेंसों का एक डेटाबेस बनाया गया है। 

आवश्यकतानुसार एम्बुलेंस प्राप्त करने और उन्हें रोगियों को उपलब्ध कराने के लिए काम चल रहा है।  इसके लिए जिला प्रशासन को सभी नगर परिषदों, वर्धा नगर परिषद, सामाजिक संगठनों और सेवाभावी लोगों से मदद मिल रही है। इस उद्देश्य के लिए, सरकार के निर्देशों के अनुसार योजना को तयार किया है।

  उसी हिसाब से एंबुलेंस उपलब्ध कराई जा रही है। वर्धा जिले में पाए जाने वाले किसी भी मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस को तैयार रखा गया है।

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