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मल्लिकार्जुन खड़गे के बिगड़े बोल उपजा बवाल चुनाव प्रचार के दौरान राजनेताओं की बयानबाजी ऊट-पटांग रहती है जिसके लिए उन्

मल्लिकार्जुन खड़गे के बिगड़े बोल उपजा बवाल

चुनाव प्रचार के दौरान राजनेताओं की बयानबाजी ऊट-पटांग रहती है जिसके लिए उन्हें और उनकी पार्टी या उम्मीदवार को दुष्परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं किन्तु कभी-कभी कुछ बयान राजनेताओं की अपनी ही पार्टी या प्रत्याशी के लिए घातक साबित हो जाते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के ताजा बयान के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘रावण’ हैं। उन्होंने एक चुनावी रैली में यह कहकर कि ‘मोदी हर चुनाव में दिख जाते हैं, क्या उनके रावण की तरह 100 सिर हैं’ सियासी बवाल की स्थिति पैदा कर दी।

ठीक इसी तरह एक सप्ताह पहले कांग्रेस के एक दिग्गज नेता मधु सूदन मिस्त्री ने भी मोदी को उनकी औकात दिखाने की बात कही थी। अब भाजपा इन बयानों को लेकर आरोप लगा रही है कि कांग्रेस और गांधी परिवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नफ़रत करता है। किसी व्यक्ति से नफरत करें, कोई विवाद नहीं। प्रधानमंत्री को पसंद न करें, तब भी कोई बात नहीं, किन्तु गुजरात में ही प्राचार के दौरान प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रावण कहने का मतलब मोदी समर्थकों को अपने खिलाफ हमला करने के लिए अमोघ हथियार मुहैया कराना है। मोदी की छवि गुजरात में ऐसी भावनात्मक बन चुकी है कि उनके समर्थक कांग्रेस अध्यक्ष के बयान पर पूरी कांग्रेस पार्टी एवं गांधी परिवार को जिम्मेदार ठहराकर सियासी फायदा उठाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब भी जो लोग उनके खिलाफ ऐसी अभद्र बयानबाजी करते थे, उसे बाद में पछतावा जरूर होता था।

उल्लेखनीय है कि 2007 के गुजरात चुनाव में कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ‘मौत का सौदागर’ बताकर नरेंद्र मोदी को 2002 के सांप्रादायिक दंगों की हिंसक घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया था, किन्तु इसका नतीजा यह निकला कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने सोनिया के इस बयान को इतना प्रचारित किया कि वह बयान कांग्रेस के लिए आत्मघाती साबित हुआ। कांग्रेस नेताओं को भी यह वास्तविकता पता है कि विपक्ष के किसी भी नेता के द्वारा नरेंद्र मोदी के खिलाफ की गई बयानबाजी को भाजपा अपने पक्ष में माहौल बनाने की कला जानती है। इसीलिए ताज्जुब होता है कि कांग्रेस के इतने तजुर्बेकार नेता को यह सामान्य बात भी समझ में नहीं आई कि प्रधानमंत्री मोदी की तुलना गुजरात की धरती पर ही रावण से करने पर कांग्रोस को फायदा होगा या नुकसान!

वास्तविकता तो यह है कि नेता कोई भी हो उसे शब्दों की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए तोल-मोल कर बोलना चाहिए, किन्तु बोलने से पहले उसे स्थान और समय का भी ध्यान रखना चाहिए।

गत सप्ताह ही असम के मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी की दाढ़ी की तुलना सद्दाम हुसैन से करके निश्चित रूप से उनका उपहास उड़ाया। इस तरह की टिप्पणी गलत है। हेमंता विस्व सरमा राहुल की दाढ़ी की तुलना पाइथागोरस, कार्ल मार्क्‍स अथवा किसी और महापुरुष से कर सकते थे। इसलिए मुख्यमंत्री सरमा की तुलना भी अनावश्यक थी, किन्तु बदकिस्मती से गुजरात कांग्रेस हेमंता विस्व सरमा की इस अनावश्यक टिप्पणी से भाजपा का कितना नुकसान कर पाएगी, इसमें संदेह है। इसके​ विपरीत भाजपाई इस मामले में मोदी की बेइज्जती का मुद्दा उठाकर फायदा उठाने सिद्धहस्त हैं। गुजरात के स्थानीय कांग्रेसी नेता कदाचित इसीलिए मोदी और उनके पारिवारिक पृष्ठभूमि पर कभी कोई टिप्पणी नहीं करते, जिससे कि बात का बतंगड़ बने और पार्टी को लेने के देने पड़ जाएं। उधर केंद्रीय नेतृत्व से जुड़े नेता शायद यह दिखाने के लिए नरेंद्र मोदी के खिलाफ अनावश्यक बयानबाजी करते हैं कि उन्हें इससे पार्टी में विशेष प्रतिष्ठा मिलेगी, किन्तु इतना तो सच है कि इस तरह की टिप्पणियों से सभी नेताओं को बचना चाहिए।



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