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किमत से अधिक देकर नीमा गांव के किसान खरीद रहे है उर्वरक, बीएओ को शिकायत करने के बाद भी नहीं निकला हल, हल नहीं होने पर पी

किमत से अधिक देकर नीमा गांव के किसान खरीद रहे है उर्वरक, बीएओ को शिकायत करने के बाद भी नहीं निकला हल, हल नहीं होने पर पीएमओ से किया निवेदन।
बोधगया।
खेतो में फसल को बेहतर करने व उसकी बीमारी को दूर करने के लिए किसानों को उर्वरक की आवश्यकता पड़ती है। जिसे सरकार द्वारा एक निर्धारित मुल्य पर किसानों को उपलब्ध करवाया जाता है। प्रखंड स्तर पर किसानों को सही दाम पर उर्वरक मिले इसका निरीक्षण समय-समय पर बीएओ द्वारा किया जाता है। जिससे की खाद बेचने वाले दुकानादरों द्वारा किसानों को उर्वरक निर्धारित दाम पर ही उपलब्ध करवाया जा सके। अगर किसी दुकानदार द्वारा तय दाम से भी अधिक मुल्य किसानों से लिए जाने की सूचना अधिकारी को मिले तो अधिकारी उस दुकानदार पर कार्रवाई करते हुए किसानों को सही दाम पर उर्वरक मिले इसे सुनिश्चित करते है। लेकिन बोधगया के निमा गांव के किसानों को उर्वरक 266 रुपए की जगह 380 से 400 रुपए अधिक देकर खरीदना मजबूरी बनता जा रहा है। इस संबंध में बीएओ को सूचना देने के बाद भी अधिकारियों द्वारा पहल नहीं करने पर किसान ना सिर्फ अधिकारियों के कार्यशौली से नाराज है। बल्कि अधिकारियों द्वारा दुकानदार से अधिक रुपए लेकर माल को ब्लैक करने में साथ देने का आरोप भी लगा रहे है।
इस संबंध में मुन्ना कुमार, परमेश्वर यादव, शंकर कुमार, लखपति यादव, देवनंदन यादव, बबलू यादव आदि किसानों ने बताया कि निमा में करीब पांच सौ किसान रहते है और खेत में फसल पैदा कर अपना जीवनयापन चलाते है। फसल को किड़े-मकौड़े से बचाने के लिए विभिन्न तरह के उर्वरक की आवश्यकता होती है। जिसे किसानों को निर्धारित दाम से भी अधिक देकर खरीदना पड़ता है। उर्वरक के लिए आधार कार्ड सहित अंगुठा भी दुकानदार द्वारा लिया जाता है। उसके बाद भी मनमाना दाम लेने को लेकर बीएओ द्वारा कार्रवई नहीं जाता है। निमा के सलाहकार महिला होने के कारण वह क्षेत्र में कम और उनके पति अधिकनजर आते है। जिस कारण समस्या का समाधान होने की जगह समस्या और भी गंभीर होती जा रही है। किसानों की समस्या को लेकर क्षेत्र के चुनचुन कुमार ने पीएमओ के पास 10 जनवरी को मेल कर किसानों की समस्या को निदान करने का अनूरोध किया है। उसने पीएमओ को लिखा है कि बोधगया प्रखंड कृषि पदाधिकारी व किसान सलाहकार और उर्वरक विक्रेताओं की साठगांठ से यूरिया उर्वरक की कालाबाजारी की जा रही है। मानक मूल्य पर मांगने पर कोई भी विक्रेता किसानों को यूरिया नही देता है। समय पर यूरिया फसल में नहीं देने पर फसल का नुकसान होता है। फसल को बचाने के लिए किसानों को यूरिया मजबूरन खरीदना पड़ता है।

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