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कॉलरवाली बाघिन के नाम से मशहूर "सुपर टाइग्रेस मॉम" अब इस दुनिया में नहीं रही, वन्यप्राणी प्रेमियों में शोक की

कॉलरवाली बाघिन के नाम से मशहूर "सुपर टाइग्रेस मॉम" अब इस दुनिया में नहीं रही, वन्यप्राणी प्रेमियों में शोक की लहर 
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भोपाल। रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन 
पेंच टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश,इंडिया को विश्व में पहचान दिलाने वाली मादा बाघ 'टी 15' जिसे स्थानीय रूप से 'कॉलरवाली' के नाम से जाना जाता है, अब इस दुनिया में नहीं रही। इससे सम्पूर्ण पार्क प्रबंधन से लेकर विश्व के वन्यप्राणी प्रेमियों में शोक की लहर व्याप्त है। पेंच टाईगर रिजर्व, सिवनी के अंतर्गत परिक्षेत्र कर्माझिरी के बीट कुम्भादेव के कक्ष क्रमांक 589 में कॉलरवाली बाघिन ने 15 जनवरी 2022 को सायं 6.15 बजे अंतिम सांस ली। ईको विकास समिति कर्माझिरी की अध्यक्ष श्रीमती शांताबाई सरयाम ने रविवार को पेंच टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में रहने वाले समस्त नागरिकों की ओर से श्रद्धांजलि देते हुए विश्व प्रसिद्ध बाघिन कॉलरवाली को मुखाग्नि दी।
कुल आठ बार में 29 शावकों को जन्म देकर विश्व रिकार्ड बनाया 
बाघिन टी 15 का जन्म वर्ष 2005 के सितंबर माह में उस समय की विख्यात बाघिन बड़ी मादा से हुआ था। आगे चलकर बड़ी मादा की मृत्यु के पश्चात् कॉलरवाली ने अपनी मां की विरासत को गौरवपूर्ण तरीके से आगे बढ़ाया। कॉलरवाली बाघिन ने मई 2008 से दिसम्बर 2018 के मध्य कुल आठ बार में 29 शावकों को जन्म दिया और पेंच में बाघों का कुनबा बढ़ाने में अपना अविस्मरणीय योगदान दिया। एक बाघिन का अपने जीवन काल में 29 शावकों को जन्म देना एक विश्व रिकार्ड है एवं 29 शावकों में से 25 शावकों को जन्म पश्चात् एक बाघिन द्वारा जीवित रख पाना भी अपने आप में अभूतपूर्व कीर्तिमान है। कॉलरवाली बाघिन ने मई 2008 में प्रथम बार में तीन शावकों को, अक्टूबर 2008 में चार शावकों को, अक्टूबर 2010 में पांच शावकों को, मई 2012 में तीन शावकों को, अक्टूबर 2013 में तीन शावकों को अप्रेल 2015 में चार शावकों को, 2017 में तीन शावकों को एवं दिसम्बर 2018 में चार शावकों को जन्म दिया था। 
कॉलरवाली बाघिन की ही संतान बाघिन (टी4) 
वर्तमान में पाटदेव बाघिन (टी4) जो कि अपने पांच शावकों के साथ पार्क की शोभा बढ़ा रही है। वह कॉलरवाली बाघिन की ही संतान है पार्क प्रबंधन को पूर्ण विश्वास है कि यह बाघिन शीघ्र ही अपनी मां का स्थान लेकर कॉलरवाली की विरासत को आगे बढ़ाएगी।   
पार्क प्रबंधन के वन्यप्राणी चिकित्सक द्वारा विगत एक सप्ताह से लगातार निगरानी रखी जा रही थी। मृत्यु उपरांत पार्क प्रबंधन के वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. अखिलेश मिश्रा एवं डॉ. अमोल रोकड़े, पशु चिकित्सक एस.डब्ल्यू.एफ.एच. (स्कूल आफ वाईल्ड लाईफ एंड फारेंसिक हेल्थ, जबलपुर) द्वारा 16 जनवरी 2022 को प्रातः नेशनल टाइगर कॉन्सेर्वशनअथॉरिटी के एस.ओ.पी. के अनुसार शव परीक्षण कर, विसरा अंगों का प्रयोगशाला अन्वेषण हेतु संग्रहण किया। लगभग 16.5 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुकी इस बाघिन की मृत्यु उसकी वृद्धावस्था के कारण होना पुष्ट हुआ है। उपरोक्त कार्यवाही में क्षेत्र संचालक श्री अशोक मिश्रा, उप संचालक श्री अधर गुप्ता, सहायक वन संरक्षक श्री बी.पी.पी.तिवारी, परिक्षेत्र अधिकारी श्री आशीष खोब्रागड़े, एन.टी.सी.ए. के प्रतिनिधि श्री विकृांत जठार, श्री राजेश भेण्डारकर, जिला पंचायत सदस्य श्री रामगोपाल जयसवाल, पार्क प्रबंधन के पंजीकृत गाईड एवं रिसोर्ट प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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