logo

देश के विकास की अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करना ही शिक्षा नीति का लक्ष्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु

देश के विकास की अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करना ही शिक्षा नीति का लक्ष्य

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित

रतलाम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं शताब्दी की पहली शिक्षा नीति है जिसका लक्ष्य देश के विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करना है । यह नीति भारत की परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्यों के आधार को बरकरार रखते हुए 21वीं सदी की शिक्षा के लिए लक्ष्यों को निर्धारित करती है।  प्रत्येक व्यक्ति में निहित रचनात्मक क्षमताओं के विकास पर जोर देती है। 

उक्त तथ्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के क्रियान्वयन हेतु शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शिवगढ़ में आयोजित उन्मुखीकरण कार्यशाला में परिसंवाद के दौरान उभर कर सामने आए।  संस्था प्राचार्य जितेंद्र कुमार गुप्ता के मार्गदर्शन में आयोजित कार्यशाला में जनप्रतिनिधि समरथ टांक सहित विद्यालय परिवार के सदस्य मौजूद थे। कार्यशाला में श्रीमती हंसा चौहान ने प्रारंभिक बाल्यावस्था एवं शिक्षा पर विचार व्यक्त किए। श्री यदुनंदन सोलंकी ने बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान की अवधारणा पर विस्तार से प्रकाश डाला राकेश बर्मा ने ड्रॉपआउट बच्चों की संख्या को कम करने के लिए शिक्षा नीति में बताए गए बिंदुओं की व्याख्या की।

उमेश बारोदिया ने स्कूलों के पाठ्यक्रम और शिक्षण शास्त्र पर विचार व्यक्त किए। श्रीमती मनीषा मालवीय शिक्षा नीति में शिक्षक के लिए निर्धारित दायित्वों पर प्रकाश डाला। जितेंद्र सिंह खराड़ी ने विद्यार्थियों के विकास में शिक्षक की भूमिका के संबंध में विचार व्यक्त किए। श्री बी.एस. राठौर एवं श्रीमती प्रगति शर्मा ने समतामूलक व समावेशी शिक्षा की अवधारणा को स्पष्ट किया। श्रीमती आरती कौशिक एवं जगदीश सुमन ने स्कूल कांपलेक्स एवं क्लस्टर पर अपने विचार व्यक्त किए। सुश्री वंदना बामनिया ने स्कूली शिक्षा के लिए मानक निर्धारण संबंधी बिंदुओं को समझाया रुद्रेश देराश्री ने प्रौद्योगिकी एवं एकीकरण तथा कौशल विकास में विद्यार्थियों की भूमिका के संबंध में विचार व्यक्त किए।

1
16871 views
  
1 shares