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छोटे, मंछले और भाषाई अखबारों से ही पत्रकारिता कायम रहेगी  स्टेट प्रेस क्लब मध्यप्रदेश द्वारा आयोजित राष्ट्रीय

छोटे, मंछले और भाषाई अखबारों से ही पत्रकारिता कायम रहेगी

 स्टेट प्रेस क्लब मध्यप्रदेश द्वारा आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद में प्रेस क्लब आफ इंडिया के अध्यक्ष लखेडा ने कहा

 इंदौर  प्रेस क्लब ऑफ इंडिया नई दिल्ली के अध्यक्ष श्री उमाकांत लखेडा ने कहा है कि छोटे , मंछले और भाषाई अखबारों से ही पत्रकारिता कायम रहेगी । वर्तमान में देश में पत्रकारिता के समक्ष चुनौतियों का वह दौर आ गया है जो कि इससे पहले कभी नहीं रहा है । 

श्री लखेडा यहां स्टेट प्रेस क्लब मध्यप्रदेश के द्वारा आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद को संबोधित कर रहे थे । इस परिसंवाद का विषय था-  पत्रकारिता का वर्तमान दौर और चुनौतियां । उन्होंने कहा कि इस समय देश की जनता को सारी उम्मीद है केवल और केवल पत्रकारों से है । हमें यह जान लेना चाहिए कि देश का संविधान सर्वोपरि है । यदि उसके खिलाफ जाकर कोई भी व्यक्ति कुछ कर रहा है, कुछ बोल रहा है तो उसे उजागर करना हमारा कर्तव्य है। हमारे देश के संविधान में सभी नागरिक एक समान है। इस समय देश में धर्म की परिभाषा नहीं जानने वाले लोगों ने धर्म और राष्ट्र को एक मान लिया है। हमारे देश की संस्कृति पूरे विश्व को परिवार मानने की रही है । हमारा संविधान देश के हर नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी देता है । वर्तमान में जिस तरह से नई तरह की बहस शुरू हुई है वह घातक है । पत्रकारों के प्रति लोगों का जो भरोसा उठने लगा और जो उनकी इज्जत कम हुई है तो उसके पीछे एक ही कारण है कि वह अपना फायदा देखने लगे । देश में पत्रकारिता कायम रहेगी तो छोटे मंछले और भाषाई अखबारों के माध्यम से ।

वरिष्ठ पत्रकार एवं राज्यसभा टीवी के पूर्व संपादक श्री राजेश बादल ने कहा कि यह वक्त कठिन वक्त है। ऐसा दौर मैने पिछले 40 सालों में कभी नहीं देखा । पत्रकारिता में इंदौर के घराने का अपना महत्व है । आज जब यहां से पत्रकारिता के समक्ष मौजूद चुनौतियों पर बात होती है तो वह बात दूर तक जाएगी । आज हमारी साख पर सवाल उठ रहे हैं । पत्रकारिता की गाड़ी पटरी से उतर गई है । पहले अखबारों में संपादक हुआ करते थे लेकिन अब संपादक के नहीं होने से प्रबंधन का पूरा दबाव सीधे पत्रकार पर आता है । देश में आज हम बंट गए हैं आप हम किसी की भी सीधी और स्वस्थ आलोचना भी नहीं कर सकते हैं। बाजार के दबाव को दूर करना हमारे बस की बात नहीं है।

 वरिष्ठ पत्रकार जे पी दीवान ने कहा कि देश की आजादी में भी पत्रकारों का योगदान रहा है । आज देश में पत्रकारिता पर ही नहीं बल्कि देश के संविधान पर भी खतरा पैदा हो गया है । जिन लोगों का देश की आजादी से लेकर राष्ट्र के निर्माण में योगदान नहीं रहा , वह लोग आज संविधान की रीढ़ की हड्डी को कमजोर करने का काम कर रहे हैं । हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश  ने कहा कि खोजी पत्रकारिता कम हो रही है । ऐसा मेरा मानना है कि इससे लोकतंत्र कमजोर हो रहा है। वह भीड़ तंत्र के रूप में तब्दील हो रहा है । अब मीडिया कछुआ बन चुका है और संपादक मैनेजर बन गए हैं । अखबार अब इंडस्ट्री का रूप ले चुके हैं।

 नई दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि इससे ज्यादा जटिल दौर पत्रकारिता के सामने कभी नहीं आया । कोरोना काल में अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए अपनी जान गवा देने वाले पत्रकारों के लिए जब श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई तो उस समय यह खुलासा हुआ कि कितनी बड़ी संख्या में पत्रकारों की इस अवधि में मौत हुई है । हाल ही में सरकार ने संसद में कहा है कि पिछले 3 साल में सरकार के द्वारा प्रिंट मीडिया से ज्यादा विज्ञापन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को दिए गए । देश के जनता का विश्वास प्रिंट मीडिया के साथ जुड़ा हुआ है । सोशल मीडिया मुख्य धारा की पत्रकारिता नहीं है । आज हम लोगों के समक्ष इस विश्वसनीयता को बचाने की चुनौती है । पिछले 2 साल से संसद में पत्रकारों के प्रवेश को भी रोका जा रहा है । देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी खतरे में पड़ गई है । 

प्रारंभ में विषय का प्रवर्तन भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार श्री मनोज कुमार ने किया । उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में गुरु शिष्य परंपरा समाप्त हो गई है । अब पत्रकारिता में डिग्री धारी लोग आ रहे हैं । इससे पत्रकारिता की गुणवत्ता पर फर्क पड़ा है । डिग्री धारियों के प्रशिक्षण के लिए समुचित व्यवस्था अब तक हमारे देश में नहीं है । मीडिया और पत्रकारिता में फर्क है । इस फर्क को हमें समझना होगा । पत्रकारिता एक भरोसे का नाम है । यहां सामने आने वाली चुनौती ही इसकी ताकत है ।

 इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत और उन्हें स्मृति चिन्ह प्रवीण कुमार खारीवाल , कमल कस्तूरी ,अजय भट्ट, विजय गुंजाल, प्रवीण धनोतिया, सोनाली यादव,  मनोहर लिंबोदिया, राज टंडन ,अक्षय जैन, पंकज क्षीरसागर कृष्णकांत रोकड़े , अशोक शास्त्री,  वीवान सिंह राजपूत, डॉक्टर रईस कुरैशी  , अभिषेक बड़जात्या, संजीव आचार्य, मीना राणा शाह,  दीपक दुग्गड, अनिल जैन, गिरीश मालवीय , पीयूष भट्ट , गोवर्धन लिंबोदिया, ताहिर कमाल सिद्धकी , चंद्रशेखर शर्मा,  अजय शर्मा ने भेंट किए  । इस कार्यक्रम में इंदौर उज्जैन संभाग के पत्रकारों सहित प्रबुद्ध जन शामिल हुए।

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