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फतेहपुर- जेल में बंद क्षयरोग से ग्रषित बंदियों के खुलवाए गए खाते  जेल का नाम ज़ुबा पर आते ही ज़ेहन में जो तस्वीर उभर

फतेहपुर- जेल में बंद क्षयरोग से ग्रषित बंदियों के खुलवाए गए खाते
 जेल का नाम ज़ुबा पर आते ही ज़ेहन में जो तस्वीर उभर कर सामने आती है वह कोइ अच्छी नही होती क्या कभी किसी ने सोचा है कि जेल में बन्द बंदी व कैदियों के हक और हुकूक की ज़िम्मेदारी जेल अधीक्षक ने खुद ले रखी है। जी हाँ उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले की जिला कारागार में बन्द कैदियों के अधिकारों का हनन न हो इसके लिए जेल अधीक्षक द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को भी अपनी ज़िम्मेदार का निर्वाहन करने का बराबर पाठ पढ़ाया जाता है। उसी कड़ी को और आगे बढ़ते हुए आज जिला कारागार में सज़ा काट रहे बंदियों में कुछ क्षयरोग से ग्रषित मरीज़ है उनके हक के लिए एक और पहल की गई है। जिनको इलाज के साथ साथ खाने पीने के लिए प्रदेश सरकार की जानिब से पाँच सौ रुपए प्रति माह पोषण भत्ता दिया जाता है। जेल में बन्द होने के कारण यह लाभ उनको नही मिल रहा था। इसी बात को ध्यान में रखते हुए जेल अधीक्षक ने जेल में ही बैंक कर्मचारियों को बुलाकर 13 मरीज़ों के खाते खुलवाने का काम किया। वही जेल अधीक्षक मोहम्मद अकरम खान ने मीडिया को बताया हमारी जेल में कुल 13 क्षयरोग से ग्रषित बन्दी है जिसमे तीन मरीज़ इलाज के बाद ठीक हो चुके है। 10 बन्दी ऐसे है जिनका इलाज चल रहा है। प्रदेश सरकार की तरफ से पाँच सौ रुपए प्रति माह पोषण भत्ता के तौर पर क्षयरोग से ग्रषित मरीज़ों को दिया जाता है। जेल में बंद होने के कारण यह लाभ इनको नही मिल रहा था इसी लिए बैंक कर्मचारियों को बुलाकर इनके खाते खुलवाए गए है। 15 दिनों में इनके खातों में पैसे आ जायेंगे। और यह जब तक आते रहेंगे जब तक इलाज चलता रहेगा। जेल अधीक्षक की ओर से जेल में बन्द बन्दियों के प्रति अपना फर्ज़ निभाना काबिले तारीफ है।
बाईट - मोहम्मद अकरम खान ( जेल अधीक्षक फतेहपुर )

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