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टोकन लेने के लिए मारामारी कांग्रेस सरकार में किसान सुरक्षित नहीं : शिव वर्मा


  राजनांदगांव। जिला भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष व पार्षद दल के प्रवक्ता शिव वर्मा ने कहा कि कांग्रेश सरकार में किसान सुरक्षित नहीं है।

जिस प्रकार आप सब ने देखा है कि किसान अपने धान बेचने के लिए 2 दिन रात जागकर टोकन प्राप्त करने के लिए लाइन में लगे हुए थे और जैसे ही टोकन प्राप्त करने की बारी आई सबने एक दूसरे को धक्का मारते गिरते पढ़ते जिससे कई लोग घायल हो गए।

प्रशासन की नाकामी के चलते कई लोगों को चोट भी पहुंचा है वहीं दूसरी ओर किसानों को बारदाना स्वयं को उपलब्ध कराने यह सरकार कह रही है। लोक  लुभावना घोषणापत्र से प्रदेश क हर वर्ग इस सरकार से दुखी  पीड़ित है।
श्री वर्मा ने आगे कहा कि कल 1 दिसंबर को धान खरीदी होने वाली है, लेकिन छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल कांग्रेस की सरकार के द्वारा धान खरीदी को लेकर खास इंतजाम नहीं किया गया है, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है, एक तरफ तो बारदाने की समस्या और वही दूसरी तरफ टोकन की समस्या से किसान हलकान हो रहा है, समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी शुरू होने से पहले ही अन्नादाता आफत में पड़ गए हैं,किसानों को बारदाना लाने कहा जा रहा है, बारदाना लाने वाले किसानों को ही धान बेचने के लिए टोकन जारी होगा। इसको लेकर अन्नादाताओं की परेशानी बढ़ गई है, फसल मिंजाई के बाद अन्नादाता उपज बेचने के लिए अब बारदाना ढूंढने में लग गए हैं, किसानों को धान की मात्रा के आधार पर 25 प्रतिशत बारदाना लाने कहा गया है, विडंबना यह है, कि बारदाना संकट को लेकर बाजार में इसके भाव बढ़ गए हैं, खुले बाजार में किसानों को बारदाना 25 से 35 रूपये में मिल रहा है, जबकि सरकार ने किसानों द्वारा लाए बारदानों की कीमत 18 रूपये निर्धारित की है, इसके चलते भी किसानों की चिंता बढ़ गई है, विकास की बात करके छत्तीसगढ़ वासियों को जोतराम माया जाल में फंसा कर राज करने वाले कांग्रेस सरकार सबसे पहले किसानों के हितैषी सरकार किसानों को सोसाइटी में टोकन उपलब्ध कराएं क्योंकि जब से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार कुर्सी में बैठे हैं, तब से किसानों, गरीबों और मध्यम वर्ग व समाज के अंतिम व्यक्ति तक सरकार की कार्यप्रणाली से नाखून उदासीनता नजर आ रहे हैं, और वही एक तरफ कल से धान खरीदी की शुरुआत हो रहा है, लेकिन सोसायटीओं में भारी अनियमितता और असुविधा देखने को मिल रहा है, छत्तीसगढ़ में बड़ी विडंबना है, कि किसान अपने मेहनत की कमाई को बेचने के लिए सोसायटीओं में लाइन लगाना पढ़ रहा है, उसके बाद भी किसानों को टोकन नहीं मिलना दुर्भाग्य की बात है।

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