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भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय के विधि विभाग में संविधान दिवस मनाया गया

गोहाना(सोनीपत)। भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय के विधि विभाग में संविधान दिवस मनाया गया।

विभाग के सभी प्राध्यापकों व छात्राओं ने सम्मिलित होकर संविधान रचयिताओं के कार्यों को स्मरण किया। 

विवि के कुलपति प्रो राजेंद्र कुमार अनायत ने संविधान की प्रस्तावना पर विचार साझा करते हुए कहा कि प्रस्तावना भारतीय संविधान के उन उच्च आदर्शों का परिचय देती है जिन्हे भारतीय जनता ने शासन के माध्यम से लागु करने का निर्णय किया इन आदर्शों का उद्देश्य न्याय , स्वतंत्रता , समानता , बंधुत्व और राष्ट्र की एकता व अखंडता स्थापित करना है।  

विवि की कुलसचिव डॉ नीलम मलिक ने संविधान की मौलिकता व सिद्धांतों का वक्तव्य सांझा किया।  उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आंदोलनों के प्रयत्नों के कारण सविधान सभा द्वारा इस सविधान का निर्माण किया गया जिसमे बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर , बी एन राव , मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद और कृष्णा स्वामी अय्यर ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

उन सभी की दूरदर्शिता के कारण आज भारतीय सविधान अनेकता में एकता का रूप प्रदर्शित करता है। 

इस अवसर पर विधि विभाग की अध्यक्षा डॉ राजेश हुडा ने फिलॉसॉफी ऑफ़ कंस्टीटूशन के ऊपर अपना व्यवख्यान दिया। उन्होंने बताया कि सविधान एक जीवंत दस्तावेज है। सविधान की केंद्रीय विशेषता उसे जीवंत बनाती  है। उन्होंने बताया कि सविधान के दर्शन का सर्वोत्तम सार संक्षेप सविधान की प्रस्तावना में है। इसकी रचना एवं अंगीकार हम भारत के लोगों के द्वारा हुआ है। इस तरह जनता स्वयं अपनी नियति और नियंता है और लोकतंत्र एक साधन है जिसके सहारे लोग अपने वर्तमान और भविष्य को आकार देते है। 

इसके बाद डॉ प्रमोद मलिक ने भारत के संविधान की प्रासंगिकता पर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि संविधान देश के शासन को आधार प्रदान करता है। आज सभी देशवासियों अपने अधिकारों के प्रति तो जागरूक हो गए है लेकिन संविधान ने देशवासियों को जो दायित्व दिए है। उनके निर्वाहन में भागीदारी रखनी चाहिए।

संविधान निर्माताओं ने एक श्रेष्ठ भारत का स्वप्न सजाया था , हमारा भी दायित्व बनता है कि एक श्रेष्ठ भारत का निर्माण करें। धीरज दहिया ने बताया कि भारतीय संविधान की प्रक्रिया में बहुत ही समस्या आयी थी परन्तु भारतीय संविधान सभा का गठन किया गया।

सबसे पहले 1922 में महात्मा गांधी ने संविधान बनाने की मांग को उठाया था इसके बाद 1928 में मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट और 1936 में कराची अधिवेशन व कैबिनेट मिशन 1946 के अंतर्गत संविधान के गठन और प्रारूप का मसौदा तैयार किया और 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा ने पारित किया तथा 26 जनवरी 1950 लागू हुआ। 

इस अवसर पर डॉ सीमा दहिया , डॉ अर्चना मलिक।  डॉ आनंद , डॉ कीर्तिका दहिया , डॉ अलका व डॉ अशोक भी मौजूद रहे।   

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