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हरीश रावत का दलित कार्ड 13 सीटों की गणित,

पूर्व मुख़्यमंत्री व एआईसीसी महासचिव हरीश रावत की दलित कार्ड की भाषा को पार्टी के दोनों पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह और किशोर उपाध्याय क्या वाकई समझ नहीं रहे हैं या फिर दोनों की एक जैसी पीड़ा है, जिसका शूल हरीश रावत हैं ? जो रह-रहकर कटाक्ष अथवा तीखे बोलों से बाहर निकल रही है। राज्य बनने के बाद वर्ष 2002 से 2007 तक सत्ता संघर्ष में सहयोगी रहे हरीश रावत- प्रीतम सिंह – किशोर उपाध्याय मौजूदा समय में अलग रीति, अलग नीति और अलग – अलग सोच के साथ कांग्रेस को भाजपा से मुकाबले के लिए तैयार कर रहे हैं।

यहां यदि बात करें हरीश रावत के दलित कार्ड की तो उन्होंने कांग्रेस की तरफ से दलित मुख़्यमंत्री की सम्भावनाओं की बात कर एक नई बहस छेड़ दी है।

उनके इस आशय के बयान पर विरोधी दलों से अधिक दिलचस्प टिप्पणी प्रीतम सिंह और किशोर उपाध्याय ने की है। दोनों नेताओं ने त्वरित टिप्पणी कर कहा कि यही दलित प्रेम वर्ष 2002 , 2012 व 2014 में भी दिखाया जाना चाहिए था।

वर्ष 2002 में नारायण दत्त तिवारी , 2012 में विजय बहुगुणा और 2014 में खुद हरीश रावत मुख़्यमंत्री बने। हरीश रावत के दलित मुख़्यमंत्री के बयान की गहराई में जाएं तो पाएंगे कि यह हवा में दिया गया बयान नहीं है। उत्तराखण्ड विधानसभा में अनुसूचित जाति की 13 सीटें आरक्षित हैं।

राज्य की कुल आबादी का लगभग 15 फीसद हिस्सा अनुसूचित जाति का है , जिन्हें कांग्रेस आज भी अपने पाले में मानती है। आम आदमी पार्टी के उत्तराखण्ड में चुनाव में कूदने के बाद कांग्रेस को दलित मतदाताओं की फिक्र अधिक सताने लगी है। कांग्रेस को पहले मैदानों में दलित वोट बैंक पर बसपा की सेंधमारी की चिंता रहती थी और अब आम आदमी पार्टी की चुनौती। उत्तराखण्ड में वर्ष 2017 में सत्ता परिवर्तन के साथ अनुसूचित जाति की सभी 13 सीटें भाजपा की झोली में चली गईं।

दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में भी अनुसूचित जाति की 12 सीटें आरक्षित हैं जो 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी ने जीती हैं।

दिल्ली में दलित वर्ग की आबादी 16.80 फ़ीसद है जबकि उत्तराखण्ड में 15 फीसद के करीब है। दिल्ली में सुल्तानपुर , माजरा , करोलबाग , सीमापुरी , गोकलपुर , मंगोलपुरी , त्रिलोकपुरी , कोंडली , अम्बेडकर नगर , मोदीपुर , देवली , बवाना और पटेलनगर। कांग्रेस दलित वर्ग पर अपना एकाधिकार मानती आई है। हालांकि समय समय पर इसमें बसपा ने जबरदस्त सेंधमारी की है। हरिद्वार व उधमसिंह नगर में 2002 व 2007 में बसपा का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है। राज्य में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पुरोला , थराली , घनसाली , राजपुर रोड , ज्वालापुर , झबरेड़ा , भगवानपुर , पौड़ी , गंगोलीहाट , बागेश्वर , सोमेश्वर , नैनीताल व बाजपुर। जनपदों में अनुसूचित जाति की आबादी इस प्रकार है। पिथौरागढ़ में 24.90 फीसद , बागेश्वर 27.73 फीसद , अल्मोड़ा 24.25 फीसद , चंपावत 18.25 , नैनीताल 20.03, उधमसिंह नगर 14.46 , हरिद्वार 21.76 , उत्तरकाशी 24.41 , चमोली 20.25 , टिहरी 22.50 , रुद्रप्रयाग 19.68 , देहरादून 13.49 व पौड़ी में 17.80 फीसद अनुसूचित जनजाति की आबादी है।

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