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देवभूमि हरिद्वार में साहित्य का महाकुंभ, वैदिक रामानुज वार्षिकी सम्मान से 60 रचनाकार सम्मानित

देवभूमि उत्तराखंड की पवित्र और आध्यात्मिक महानगरी हरिद्वार में 7 दिसंबर 2025 को वैदिक प्रकाशन द्वारा एक अत्यंत भव्य, व्यवस्थित और भावनाओं से ओत-प्रोत साहित्यिक सम्मान समारोह एवं पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह समारोह न केवल साहित्यिक योगदान को सम्मानित करने का एक अवसर रहा, बल्कि साहित्यकारों, रचनाकारों, कलाकारों तथा सांस्कृतिक प्रेमियों का एक उत्सवी संगम भी बना। पूरे कार्यक्रम के दौरान साहित्यिक ऊर्जा, आध्यात्मिक माधुर्य और एकता की सुंदर झलक देखने को मिली, जिसने इस आयोजन को अत्यंत विशेष और ऐतिहासिक बना दिया। कार्यक्रम के दौरान कुल 16 साझा संकलनों और एकल पुस्तिकाओं का विधिवत विमोचन किया गया। इसके साथ ही 60 प्रतिभाशाली साहित्यकारों को उनके उल्लेखनीय साहित्यिक योगदानों के लिए ‘वैदिक रामानुज वार्षिकी सम्मान 2025’ से सम्मानित किया गया। इन साहित्यकारों को सम्मानित होते देख न केवल उनके चेहरों पर गर्व और प्रसन्नता चमक रही थी, बल्कि सभागार में उपस्थित सभी लोगों ने भी उत्साहपूर्वक इस गौरवपूर्ण दृश्य को सराहा। समारोह का शुभारंभ वैदिक प्रशासन की वरिष्ठ सलाहकार आदरणीय अंजलि सारस्वत शर्मा द्वारा मधुर और आध्यात्मिक ईश-वंदना के साथ हुआ। उनकी सुमधुर वाणी और भावपूर्ण प्रस्तुति ने पूरे सभागार को एक आध्यात्मिक ऊष्मा से भर दिया और कार्यक्रम को एक पवित्र भावभूमि प्रदान की। जैसे ही उनकी मंत्रमुग्ध कर देने वाली वंदना समाप्त हुई, पूरा वातावरण सम्मान, श्रद्धा और सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण हो उठा। इसके पश्चात वैदिक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित 16 पुस्तिकाओं का क्रमवार विमोचन हुआ। प्रत्येक पुस्तक को मंच पर उपस्थित गणमान्य अतिथियों द्वारा प्रस्तुत किया गया। जैसे ही हर पुस्तक का आवरण सबके सामने आया, उसमें निहित साहित्यिक श्रम, संवेदनाएँ और रचनात्मकता स्पष्ट रूप से महसूस हो रही थी। यह विमोचन केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं रहा, बल्कि नई रचनाओं के जन्म का उत्सव बन गया। इस समारोह की विशेषता रहा इसका उत्कृष्ट और सधा हुआ संचालन, जिसे आदरणीय अभिषेक मिश्रा, आदरणीय सुनील सैनी ‘सीना’, और गोरखपुर की युवा, ऊर्जावान एवं प्रतिभावान कवयित्री लेखिका आदरणीया हिना कौसर गोरखपुरी ने मिलकर अत्यंत गंभीरता, भावपूर्णता और रोचकता के साथ निभाया। तीनों मंच संचालकों ने पूरे कार्यक्रम को एक खूबसूरत धागे में पिरोए रखा। उनकी उपस्थिति, मंच पर उनकी पकड़ और संचालित करने की कला ने पूरे समारोह में ऊर्जा के साथ-साथ अनुशासन भी बनाए रखा। इन तीनों की शानदार प्रस्तुति ने कार्यक्रम में सचमुच चार चाँद लगा दिए। कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य अतिथियों में समन्वयक आदरणीय नीतू कुमारी, प्रबंधक गौरव मिश्रा, प्रकाशक आदरणीया प्रशस्ति सचदेव, सह-प्रकाशक राधा मिश्रा तथा वैदिक प्रशासन के अन्य सम्मानित सदस्य प्रमुख रूप से शामिल हुए। इन सभी अतिथियों ने एक-एक कर सभी साहित्यकारों और रचनाकारों को सम्मानित किया। यह दृश्य अत्यंत ही भावुक कर देने वाला था, जब मंच पर एक के बाद एक साहित्यकार सम्मानित हो रहे थे—जिनकी रचनाएँ समाज में प्रेरणा, चिंतन और संवेदना का संचार करती हैं। साहित्यिक प्रस्तुतियों के साथ-साथ समारोह में कला और अभिव्यक्ति का विशेष रंग भी देखने को मिला। बाल कलाकार वेदांत मिश्रा और वरेन्या ने अपनी मासूम yet प्रभावशाली कविताओं के माध्यम से श्रोताओं के मन को गहराई तक छुआ। उनकी सरल वाणी में छिपे गहरे विचारों ने सभी को आकर्षित किया। वहीं बाल नृत्यांगनाओं तन्वी, वृना और अनाया ने अपनी मनमोहक नृत्य प्रस्तुतियों से सभागार को तालियों की गड़गड़ाहट से भर दिया। उन्हें मंच पर देखकर हर किसी के चेहरे पर प्रसन्नता और गर्व का भाव नजर आया। कार्यक्रम के मध्य में कई साहित्यकारों, वक्ताओं और कलाकारों ने भी अपनी-अपनी साहित्यिक अभिव्यक्ति और विचारों को मंच से साझा किया। उनकी प्रस्तुतियाँ विचारशीलता, संवेदना और साहित्य के प्रति समर्पण को दर्शाती रहीं। कार्यक्रम से जुड़ा हर क्षण साहित्यिक महक और सांस्कृतिक चमक से भरा हुआ महसूस हो रहा था। समारोह के सफल और गरिमामयी समापन पर वैदिक प्रकाशन की संस्थापक एवं प्रकाशक आदरणीया प्रशस्ति सचदेव ने हृदय से सभी साहित्यकारों, रचनाकारों, अतिथियों, कलाकारों और मंच संचालकों का आभार व्यक्त किया। उनके साथ ही मीडिया प्रभारी सूर्यदीप ने भी कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग देने वाले प्रत्येक व्यक्ति की भूमिका की सराहना करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल सम्मान का मंच नहीं, बल्कि साहित्यिक परिवार को जोड़ने का माध्यम और नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का केंद्र है। हरिद्वार की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि और साहित्यिक वातावरण के संगम ने इस कार्यक्रम को अद्वितीय बना दिया। यह आयोजन न केवल सफल रहा, बल्कि साहित्यिक इतिहास में एक सुनहरे अध्याय के रूप में दर्ज हो गया, जो लंबे समय तक प्रेरणादायक मिसाल के रूप में याद किया जाता रहेगा।

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