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भागीरथी कला संगम की बैठक सम्पन्न, बाघ हमलों में मृतकों को श्रद्धांजलि – नई लघु फ़िल्म “गौँ बचावा रे” की तैयारियाँ तेज


श्रीनगर पौड़ी गढ़वाल। सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था भागीरथी कला संगम की एक महत्वपूर्ण बैठक आज स्थानीय कल्यानेष्वर मंदिर परिसर में आयोजित की गई। बैठक की शुरुआत में संस्था के सदस्यों ने हाल ही में गढ़वाल क्षेत्र में बाघ के हमलों में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की तथा घायल व्यक्तियों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। सभी सदस्यों ने जंगलों में बढ़ते वन्यजीव-मानव संघर्ष पर चिंता जाहिर करते हुए ग्रामीणों को जागरूक करने का सामूहिक संकल्प भी लिया।

बैठक में संस्था से जुड़ रहे नए सदस्यों—रिटायर्ड प्रधानाचार्य अवधेश मणि लाल, तथा रिटायर्ड यमुना प्रसाद काला—का संगठन द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया। सदस्यों ने आशा व्यक्त की कि उनके अनुभव और मार्गदर्शन से संस्था की गतिविधियों में और मजबूती आएगी।

बैठक का प्रमुख आकर्षण निर्देशक मदन गड़ोई द्वारा तैयार की गई नई लघु फ़िल्म “गौँ बचावा रे” की पटकथा का प्रस्तुतिकरण रहा। इस फ़िल्म का मुख्य फोकस ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन, वन्यजीवों का आतंक, तथा ग्रामीण जीवन की जमीनी चुनौतियों पर केंद्रित होगा।
मदन गड़ोई ने बताया कि फ़िल्म की शूटिंग अगले सप्ताह खंडह, चमराडा, असंगी सहित आसपास के क्षेत्रों में की जाएगी। आज ही कलाकारों का चयन भी अंतिम रूप से कर लिया गया है।

संस्था के सदस्यों ने सामूहिक रूप से तय किया कि वे निकट भविष्य में ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर जंगली जानवरों से सुरक्षा, संघर्ष प्रबंधन, तथा एहतियाती उपायों के बारे में लोगों को जागरूक करेंगे। साथ ही, सरकारी तंत्र से वन्यजीव नियंत्रण और सुरक्षा उपायों को मजबूत किए जाने की अपील करने की भी बात कही गई।

बैठक में संस्था अध्यक्ष राजेंद्र बर्थवाल, निर्देशक मदन गड़ोई, भगवती प्रसाद पुरी, रमेश चंद्र थपलियाल, भगत सिंह बिष्ट, दीनबंधु सिंह चौहान, हरेंद्र तोमर, संजय कोठारी, किशोरी नौटियाल, पदमेंद्र रावत, प्रमोद नौडियाल, अवधेश मणि, यमुना प्रसाद काला, राजेंद्र रावत सहित कई अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

भागीरथी कला संगम ने आने वाले समय में सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर अधिक प्रभावी रूप से कार्य करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं को कला और जन-जागरूकता माध्यमों के जरिए उठाने का निर्णय लिया है।

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