logo

“जब पेशे की आड़ में छिपे आतंकी — अब भरोसे की जड़ें भी हिलने लगीं!”

✍️ डॉ. महेश प्रसाद मिश्रा, भोपाल की कलम से
सूरत से लेकर दिल्ली तक देश एक नए खतरे से दो-चार है — जब आतंक का चेहरा अब पढ़े-लिखे और प्रोफेशनल लोगों के बीच से सामने आने लगा है। हाल ही में गुजरात एटीएस ने तीन आतंकियों को पकड़ा, जिनमें से एक डॉक्टर भी शामिल था।जांच में सामने आया कि ये लोग भारत में ज़हर से हमला करने की तैयारी कर रहे थे।
यह खबर सिर्फ़ डराने वाली नहीं, बल्कि चेतावनी देने वाली है।क्योंकि अगर समाज में शिक्षा, वर्दी या प्रोफेशन की आड़ में ज़हर पलने लगे — तो भरोसे की सबसे मजबूत दीवार भी गिर जाती है।
अब ज़रूरत है कि हर समुदाय, हर वर्ग के ज़िम्मेदार लोग आगे आएं —ऐसे भटके हुए लोगों को पहचानें, रोकें और समाज से अलग करें।क्योंकि आतंक का कोई धर्म नहीं होता — पर उसका असर पूरे देश के भरोसे पर पड़ता है।
हमारा देश तभी सुरक्षित रहेगा,जब शिक्षा और धर्म दोनों का इस्तेमाल इंसानियत की रक्षा के लिए होगा,
ना कि उसकी हत्या के लिए।

0
2456 views