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“जब न्यूज़ से ज़्यादा ‘न्यूज़ बनाने’ की होड़ – शर्म करो डिजिटल मीडिया!”

✍️ डॉ. महेश प्रसाद मिश्रा, भोपाल की कलम से
ग़ज़ब है हमारे देश का मीडिया!11 नवम्बर की सुबह जैसे ही लोग चैनल ऑन करते हैं, हर स्क्रीन पर एक ही हेडलाइन गूँज रही थी — “अलविदा धर्मेंद्र जी!”देशभर में शोक की लहर दौड़ गई, सोशल मीडिया पर संवेदनाओं की बाढ़ आ गई। लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतता गया, वही चैनल शाम तक कहने लगे — अभी-अभी मिली जानकारी के अनुसार धर्मेंद्र जी की तबीयत में सुधार है।”
वाह रे मीडिया!तुम्हारी जल्दी में खबर नहीं, खबर की मौत हो जाती है।हर चैनल यह चिल्लाता रहा कि — “सबसे पहले हमने दिखाया!”पर कोई यह नहीं बोला कि “सबसे पहले हमने गलती की!”
यह डिजिटल दौर का मज़ाक नहीं, पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर प्रहार है।खबर दिखाने से पहले उसकी पुष्टि करना पत्रकार का धर्म है, न कि टीआरपी की भूख में झूठ को सच बनाना।
हम सब भगवान से यही प्रार्थना करते हैं किमहान अभिनेता धर्मेंद्र जी शीघ्र स्वस्थ हों, लम्बी आयु पाएं और देश को यूँ ही अपनी मुस्कान और अभिनय से प्रेरित करते रहें।

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