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किन्नरों के जीवन की जटिलताओं पर आधारित नाटक देख छलक उठी दर्शकों की आंखें मेरठ। किन्नरों के जीवन पर आधारित ‘इप्टा’ की

किन्नरों के जीवन की जटिलताओं पर आधारित नाटक देख छलक उठी दर्शकों की आंखें

मेरठ। किन्नरों के जीवन पर आधारित ‘इप्टा’ की शानदार प्रस्तुति ‘मेरा वजूद’ दर्शकों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ गई। कलाकारों ने किन्नरों के जीवन की जटिलताओं का ऐसा मार्मिक मंचन किया कि दर्शकों की आंखें छलक उठीं।

आजादी का अमृत महोत्सव और भारतीय जन नाट्य संघ (मेरठ) के भीष्म पितामह महान रंग योद्धा शांति वर्मा की स्मृति में शनिवार को गढ़ रोड स्थित बुद्धा गार्डन में मेरठ इप्टा से जुड़े कलाकारों ने नाटक ‘मेरा वजूद’ का मंचन किया। शांति वर्मा स्मृति नाट्य समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त आईएएस डा.आरके भटनागर ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। उन्होंने शांति वर्मा को मेरठ इप्टा का भीष्म पितामह बताते हुए श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि शांति वर्मा ने रंगमंच को जिंदा रखा। उन्होंने ऐसे किरदार गढ़े तो आज बॉलीवुड तक मेरठ की छाप छोड़ रहे हैं। आज युवा पीढ़ी को रंगमंच से जुड़ने और भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए आगे आने की आवश्यकता है। अन्य अतिथियों और रंगकर्मियों ने भी रंगमंच की विधा को जीवित रखने की बात कही और शांति वर्मा का भावपूर्ण स्मरण किया। इसके बाद कलाकारों ने नाटक मेरा ‘वजूद’ का शानदार मंचन किया।

नाटक में दिखाया गया कि किस प्रकार किन्नरों को अपने जीवन में जटिलताओं का सामना करना पड़ता है ? उनके प्रति समाज का नजरिया क्या होता है ? कैसे अपना वजूद बचाने के लिए किन्नरों को संघर्ष करना पड़ता है ? नाटक में दिखाया गया कि कोई जन्म से किन्नर नहीं होता है, मजबूरी में किन्नर बनना पड़ता है। पिता की बीमारी के दौरान जरूरत पड़ने पर जब पूरा समाज नायक का साथ छोड़ देता है तो किन्नर उसका साथ देते हैं। इसके बाद तो मजबूरी में वह किन्नर ही बन जाता है।

सभी कलाकारों ने इस नाटक में जीवंत अभिनय कर दर्शकों के दिलों पर अपनी छाप छोड़ी. नाटक के पात्रों में अवनी वर्मा, धीरज आहूजा, अमन अब्बासी, राजीव चौहान, एंजिल वर्मा, संयम वर्मा, रजत बत्रा, आलोक मौर्य, मयंक वैद्यान, अक्षत सूर्यवंशी, माइकल टिसावर्ड, शाहिद गौरी, अपर्णा चित्तोड़िया, कुसुम, बिनेशपाल चौधरी, पूनम शर्मा, सिमरन पंजाबी, प्रशांत शर्मा, शिवा पंजाबी, सुल्तान मिर्जा, जफर हसन अमरोही शामिल रहे। ‘मेरा वजूद’ का निर्देशन अवनी वर्मा ने किया।

इसके लेखक अमूल सागर, परिकल्पना एवं संगीत हरीश वर्मा कोषाध्यक्ष अवनी वर्मा, सलाहकार विजय भोला, सांस्कृतिक सचिव धीरज आहूजा रहे। अन्य उपस्थित लोगों में बीके डोभाल, संजीव मलिक, रमेश खन्ना, निमिष भटनागर, मुखिया गुर्जर, कुलविंदर सिंह, विनोद बेचैन, सुरेंद्र शर्मा, आकाश कौशिक, गुड्डू चौधरी आदि शामिल रहे।

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