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कोटा में एक समाजसेवी ऐसा भी जो अक्षम होकर भी सक्षम की भूमिका मजबूती से निभा रहा - जिंदगी से हार ना मानकर बनाया व्यवसायि

कोटा में एक समाजसेवी ऐसा भी जो अक्षम होकर भी सक्षम की भूमिका मजबूती से निभा रहा
- जिंदगी से हार ना मानकर बनाया व्यवसायिक मुकाम
- कोरोना काल में निर्धन और असहायों का बने आसरा

कोटा। वरिष्ठ समाजसेवी 'दिव्यांग' राम गोपाल की जिंदगी भी एक मिसाल हैं। राम गोपाल (भारतीय दिव्यांग सेवा परिषद) के कोटा शहर जिलाध्यक्ष हैं। राम गोपाल सामाजिक संस्था (स्माइल केयर चाइल्ड फाउंडेशन) के कोटा जिला सचिव भी हैं। राम गोपाल (राष्ट्रीय पत्रकार कल्याण संगठन) के कोटा जिला सदस्य भी नियुक्त हैं। राम गोपाल का जन्म राजस्थान के कोटा शहर में नान्ता क्षेत्र स्थित साधारण से गुर्जर परिवार में हुआ। मां गृहणी और पिता स्व मदन गोपाल पेशे से पुलिस सेवा में थे। राम गोपाल एक हादसे में शारिरिक विसंगति के शिकार हो गए थे। राम गोपाल ने कभी मेहनत और प्रयास नहीं छोड़ा आज एक सफल व्यवसाई बनकर उभरे हैं। रामगोपाल पेशे से कबाड़ का काम करते हैं जिसके बलबूते वह परिवार का लालन-पालन और सामाजिक सेवा कार्य करते हैं। राम गोपाल कोटा शहर के उत्तर विधानसभा क्षेत्र में अपना अच्छा वर्चस्व रखते हैं। राम गोपाल राजस्थान सरकार के यूडीएच मंत्री शांति कुमार धारीवाल के भी करीबी हैं। राम गोपाल की बेटी वर्तमान में संरपच है। 

- गरीबों के लिए प्रयासरत हैं रामगोपाल :
दिव्यांग रामगोपाल अपने सामाजिक जीवन में कुछ ऐसे सेवा कार्य निरंतर करते आ रहे हैं जो आम जनता के लिए मूलभूत साबित हुए हैं जिसमें सर्दी की सर्द रातों में गरीबों को कंबल वितरण गर्मी की तपती दोपहरी में गरीबों को चप्पल वितरण एवं अस्पतालों में महिलाओं के लिए सेनेटरी पैड बच्चों के लिए हेल्थ पैकेज और बुजुर्गों के लिए उपचार व्यवस्था करते आ रहे हैं। दिव्यांग रामपाल शहर के कई सरकारी व अर्ध सरकारी विद्यालयों में निशुल्क पंखे और पाठ्य पुस्तकें भी देते है। कोटा उत्तर विधानसभा की बात करें तो रामगोपाल ने सरकार व सामाजिक संगठनों की मदद से बाढ़ के वक्त बाढ़ पीड़ितों को आसरा और खाद्य सामग्री भी उपलब्ध करवाई साथ ही कोरोना वायरस के माहौल में भी निर्धन लोगों के लिए भोजन सामग्री उपलब्ध करवाते रहे। दिव्यांग रामगोपाल ने टीकाकरण अभियान में भी अपनी बड़ी भूमिका और जिम्मेदारी निभाई है। अगर हम बात करें तो दिव्यांग रामगोपाल अक्षम लोगों के प्रति बहुत संवेदनशील है और समय-समय पर सरकार से निवेदन करके असहाय लोगों के लिए हैंडीकैम उपकरण और अन्य सामग्री उपलब्ध करवाते आ रहे हैं। 

अपनी आज की इस सफलता के पीछे दिव्यांग रामगोपाल अपने पिता को प्रेरणा मानते हैं। इस प्रकार दिव्यांग राम गोपाल की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है उनका कहना है कि "जब भी कोई अपने को कमजोर समझ लेता है तो हार उसके करीब होती है। जीत और हार एक इंसान के जीवन में बहुत करीब घूमती रहती है लेकिन उस व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वो कौन सी राह पकड़ता है। मुश्किल हर व्यक्ति के राह में है लेकिन उससे पार पाने का हौसला होना चाहिए"

दिव्यांग रामगोपाल से जेसे ही कुछ सामाजिक और बेहतरीन कार्य करने वाली प्रतिभाओं से भी हम आपको समय-समय पर रूबरू कराएंगे

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