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विकास और विरासत को जोड़कर होगा सनातन विकास : राजेन्द्र सिंह गांधी अध्ययन पीठ में पुरातन छात्र समागम और परिचर्चा का आयोजन

विकास और विरासत को जोड़कर होगा सनातन विकास : राजेन्द्र सिंह
गांधी अध्ययन पीठ में पुरातन छात्र समागम और परिचर्चा का आयोजन


वाराणसी। मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित जलपुरूष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि केवल विकास के रास्ते पर चलने का मतलब है विनाश, इसलिए विकास और विरासत को साथ लेकर जो सनातन विकास होगा, वहीं वास्तविक विकास है। सनातन का आशय है जहां नित्य नूतन निर्माण होता हो।कोरोना कोई नई बीमारी नहीं, लेकिन बदलते जलवायु परिवर्तन से जब मनुष्य का इम्युन सिस्टम कमजोर हो गया तो कोरोना ने इंसानी शरीर पर हमला किया। वे मंगलवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययनपीठ में पुरातन छात्र समागम और ‘विरासत व विकास तथा जलवायु परिवर्तन’ विषय पर आयोजित परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे।
कहा कि बनारस में वायसराय हॉक्न्सि ने 1932 में सीवर मिलाने की योजना बनाई, जिसका मालवीय जी ने विरोध किया, लेकिन वे इसे रोकने में कामयाब नहीं हो पाये। गंगा को ब्लू, ग्रीन और रेड जोन में बांटा गया है। कहा कि विश्वविद्यालयों में जल पोषण और संरक्षण के बारे में पाठ्यक्रम चलाये जाने चाहिए।
बता दे कि मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित जलपुरुष राजेन्द्र सिंह अब तक 28 लाख ट्यूबेल और 11800 बांधों एवं बढ़ नदियों को रिचार्ज कर चुके है। जिसके कारण करीब सत्रह लाख युवा जो सूखे के कारण गांव से पलायन कर चुके थे वे लौट आये एवं कृषि कार्य करने लगे। जिसके लिए इन्हें जलपुरुष की उपाधि भी मिली है। जलवायु परिवर्तन में इनके योगदान की पूरे विश्व में चर्चा होती रहती है।
गांधी अध्ययनपीठ के निदेशक प्रो संजय ने कहा कि आज हमको विकास को अपने सांस्कृतिक सन्दर्भों में पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता है। जब तक हम समपोषीय विकास का मार्ग नही अपनाएंगे तब तक प्राकृतिक संसाधनों का दोहन नही रुकेगा। हमें प्रकृतिवादी विकास का मॉडल अपनाना होगा।
रामधीरज भाई ने गांधी विचारों के अध्ययन एवं उसके प्रसार के लिए विद्यार्थियों को आगे आने के लिए प्रेरित किया।  उन्होंने कहा कि विकास का उद्देश्य उपभोग न होकर खुशहाली होनी चाहिए।
परिचर्चा के पश्चात एम ए गांधी विचार के पुरातन विद्यार्थियों द्वारा एलुमनाई एसोसिएशन के गठन किया गया।
इस दौरान गांधी अध्ययन पीठ में एम. गांधी विचार के एलुमनायी एसोसिशन का गठन किया गया। मौके पर रामधीरज भाई, महेशानंद, अरविंद, ईश्चरचंद, सौरभ, अमित कुमार केशरी, नीरज सिंह, विनय कुमार, सैयद अफाक हुसैन ‘शान’, स्वीटी गुप्ता, बेलाल अहमद, सुरेश चन्द्र राय, अभिषेक गुप्ता, जावेद खान, राजेश कुमार सहित अन्य मौजूद रहे। स्वागत निदेशक प्रो. संजय, संचालन एड. धीरेन्द्र शंकर श्रीवास्तव और धन्यवाद ज्ञापन पीआरओ डॉ. नवरत्न सिंह ने किया।

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