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  सहारा स्टेट्स आवासीय कल्याण समिति ने  मेदान्ता हॉस्पिटल,लखनऊ के सहयोग से लगाया गया निशुल्क स्वास्थ्



 
सहारा स्टेट्स आवासीय कल्याण समिति ने  मेदान्ता हॉस्पिटल,लखनऊ के सहयोग से लगाया गया निशुल्क स्वास्थ्य शिविर I 

मेदान्ता हॉस्पिटल,लखनऊ के डॉक्टरों ने  शिविर  में 300 से ज्यादा  मरीजो को दिया परामर्श व जांच।

सुबह 10 बजे से 5 बजे तक सहारा स्टेटस के प्रांगड़ में लगा शिविर।
 


गोरखपुर 09 जनवरी  2022 

सहारा स्टेट्स आवासीय कल्याण समिति ने मेदान्ता हॉस्पिटल,लखनऊ के सहयोग से  निःशुल्क स्वस्थ शिविर लगाया जिसमे ,300 से ज्यादा मरीजो को परामर्श दिया गया व जाँच की गई। शिविर सुबह 10 बजे से 5 बजे तक सहारा स्टेटस के प्रांगड़ में लगाया गया।

इस शिविर में मेदान्ता से आये
डॉ. आशुतोष शर्मा (हृदय रोग विशेषज्ञ), डॉ. धर्मेंद्र सिंह (अस्थि रोग विशेषज्ञ),डॉ. पारिजात मिश्रा (सामान्य रोग विशेषज्ञ) नि:शुल्क परामर्श दिया। साथ ही ई.सी.जी. (हृदय की जांच), बी.पी. ,शुगर की जांच, पी.एफ.टी. (फेफड़ों की जांच), बी एम् आई  आदि नि:शुल्क जांचे भी की।
ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ.आशुतोष शर्मा  ने बताया यदि परिवार माता-पिता, भाई, चाचा या दादा-दादी, को अगर 60 वर्ष की आयु से पहले दिल की बीमारी हुई है, तो आपको भी इस बीमारी से जल्दी पीडि़त होने की आशंका लगभग 10 गुना अधिक होती है।पुरुष के लिए 45 वर्ष से ज्यादा, और महिलाओं के लिए 55 वर्ष से अधिक उम्र होने पर दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती है।व्यस्त जीवन शैली के कारण अनियमित आहार, जंक फूड खाना, या अधिक मसालेदार भोजन दिल के दौरे का कारण बनता है।
डा. धर्मेन्द्र सिंह ने बताया कि किसी व्यक्ति में ज्यादा वजन होना गठिया रोग की शु रुआत होने के जोखिम के प्रमुख कारकों में से एक है । हमारे जोड़ों में एक निश्चित सीमा तक वजन उठाने की क्षमता है । शरीर का हर एक किलो अतिरिक्त वजन घुटनों पर चार गुना दबाव डालता है । अध्ययन में यह दिखा गया है कि शरीर का 10 फीसदी अतिरिक्त वजन कम करने से गठिया रो ग के दर्द में 50 फीसदी की कमी लाई जा सकती है ।अधिकतर भारतीय मरीज डॉक्टर के पास इलाज के लिए तब पहुंचते हैं ,जब दर्द हद से बढ़ जाता है और इसका असर उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर पडऩे लगता है । इस तरह के पुराने मामलों में पारंपरिक चिकित्सा उपाय, जैसे दवाइयां या जीवनशै ली में बदला व, लंबे समय तक मरीज को उसके दर्द से राहत नहीं दिला पाते । ऐसी हालत में जोड़ों को बदलना (जॉइंट रिप्लेसमेंट) ही एकमात्र  उपाय होता है । 
डॉ. पारिजात ने बताया कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी शरीर के दूसरे अंगों में होने वाले बदलाव को नजरअंदाज न करें। कमजोरी, एक साथ ज्यादा काम करने पर थकान, भूख न लगना, नींद बहुत आना, या बिल्कुल न आना, शरीर में दर्द, शरीर का हल्का गरम रहना और घबराहट, ये कुछ ऐसे लक्षण है जो मरीजों में आम तौर पर देखने को मिल रहे हैं। रिकवरी के दौरान खाने-पीने का विशेष ख्याल रखें। प्रोटीन और हरी सब्जियां ज्यादा मात्रा में लें। नियमित योग और प्राणायाम करें। गरम या गुनगुना पानी ही पीएं।  8-10 घंटे की नींद लें और आराम करें।
सहारा स्टेट्स आवासीय कल्याण समिति के अध्यक्ष डा.के.पी.त्रिपाठी का कहना है कि गोरखपुर  मंडल का मुख्यालय होने की वजह से गोरखपुर व आसपास के ज़िलों के मरीज़ बड़ी संख्या में आते हैं, लेकिन कुछ विशेष सुविधायें जब नहीं मिल पाती हैं, तो उन्हें लखनऊ/दिल्ली  लेकर जाना पड़ता है। मेदांता जैसे प्रतिष्ठित हॉस्पिटल द्वारा ऐसे मरीजों को घर बैठे निशुल्क परामर्श व जांच की गई I डा.के.पी.त्रिपाठी  ने मेदान्ता हॉस्पिटल ,लखनऊ की टीम द्वारा किए गये जनहित कार्य की सराहना करते हुए भविष्य में भी ऐसे और कैम्प लगाने का आग्रह किया।

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