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क्रांतिकारी वीरांगना नीरा आर्या का खेकड़ा में बनेगा स्मारक और संग्रहालय:: बागपत /खेकडा  अंग्रेजों के अत्याचार

क्रांतिकारी वीरांगना नीरा आर्या का खेकड़ा में बनेगा स्मारक और संग्रहालय::

बागपत /खेकडा 
अंग्रेजों के अत्याचार और भारत सरकार की उपेक्षा के शिकार हुई खेकड़ा की वीरांगना को जल्द ही पहचान मिलने वाली है। नेताजी  सुभाष चंद्र बोस जी के साथ आजाद हिंद फौज की इस वीरांगना नीरा आर्या ने देश के लिये अपने पति की भी हत्या कर दी थी। गुमनामी में खोई नीरा आर्या को देश के सामने लाने वाले देश के प्रसिद्ध  साहित्यकार व मातृभूमि सेवा संस्थान के लोक एवम सँस्कृति प्रकोष्ठ के संयोजक तेजपालसिंह धामा जी ने नीरा आर्या की महत्वपूर्ण जानकारियां जिलाधिकारी को सौंपी है। जल्द ही खेकड़ा में नीरा आर्या का स्मारक बनेगा, और उनकी मूर्ति की स्थापना होगी, साथ ही हैदराबाद के मंदिर में रखी उनकी अस्थि कलश व अन्य महत्वपूर्ण समान को भी खेकड़ा में संग्रहित किया जाएगा। खेकड़ा की इस वीरांगना नीरा आर्या से यहां के बच्चे भी प्रेरणा ले सकेंगे। 

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद सेना में सर्वश्रेष्ठ सैनिक का खिताब पाने वालो में एक नाम नीरा आर्या का है। जिन्होंने आजादी के लिए अपने पति को कुर्बान कर दिया था।  अंग्रेजों के अत्याचार सहकर गुमनामी जिंदगी में खोई नीरा आर्य को अगर आज पहचान मिली है तो उनका सारा श्रेय प्रसिद्ध साहित्यकार तेजपाल सिंह धामा जी को जाता है। जिन्होंने उनके जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को अपने साहित्य के माध्यम से देश के सामने रखा है तेजपाल सिंह धामा मूल रूप से खेकड़ा के रहने वाले हैं और वर्तमान में दिल्ली को अपना निवास स्थान बनाया हुआ है। तेजपाल सिंह धामा देश भक्त साहित्यकार है जिन्होंने रामप्रसाद बिस्मिल पर एक फ़िल्म बनाई है, उनके एक उपन्यास अग्नि की लपटों पर बॉलीवुड ने पद्मावत फिल्म बनाई, और जल्द ही उनकी एक बड़े बजट की फिल्म देश के सामने आएगी। 

 ऐसे हुई नीरा आर्य की  पहचान::

तेजपाल सिंह धामा ने युवावस्था में खेकड़ा के एक कार्यक्रम में आए आजाद हिंद फौज के एक कमांडर के मुख से नीरा आर्य के बारे में सुना था। लेकिन कभी मुलाकात नहीं हुई। मन में जिज्ञासा हुई तो उन्होंने कमांडर से उनके बारे में बातचीत की ओर जानकारी हासिल की।  तेजपाल सिंह धामा जी बताते है कि जब वह हैदराबाद पत्रकारिता कर रहे थे।  उन्होंने एक झुग्गी झोपड़ी में नीरा आर्य को जीवन के अंतिम क्षणों में पाया। तेजपाल सिंह धामा को उनकी सेवा का भी मौका मिला। लेकिन वह प्रयास के बाद भी सरकार से उनको कोई सहायता उपलब्ध नहीं करा पाए और 1998 में बीमारी के कारण नीरा आर्या ने अंतिम सांस ली।

पति की हत्या कर बचाई नेताजी की जान::
तेजपाल सिंह धामा जी बताते है कि नीरा आर्या को नेताजी ने अपने सर्वश्रेठ सैनिक के ख़िताब से नवाजा था। नीरा आर्या के पति अंगेज सेना में अफसर थे। नेताजी जब नीरा आर्य से भेंट करने पहुंचे तो नीरा आर्य के पति ने उन पर फायरिंग कर दी। मौके पर मौजूद देश सेवा को अर्पित नीरा आर्या ने यह देखा, तो उनकी देश प्रेम  की भावना ने पति को देश का दुश्मन पाया। उन्होंने नेताजी की जान बचाने के लिये अपने पति की हत्या कर दी। नीरा आर्या के कदम से नेताजी नाराज हो गए। लेकिन बाद में नेताजी ने नीरा आर्य को बहादुरी का ख़िताब दिया। और तभी से उन्हें नीरा नागिनी के नाम से पुकारने लगे ।

खेकड़ा में बनेगा स्मारक और संग्रहालय::

जल्दी ही खेकड़ा में नीरा आर्य का संग्रहालय बनाया जाएगा। जिसके लिए साहित्यकार तेजपाल सिंह धामा ने बागपत जिला अधिकारी राजकमल यादव जी से मुलाकात की है। नीरा आर्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां जिला अधिकारी को सौंपी गयी है। जिलाधिकारी ने तेजपाल सिंह धामा के इस कार्य की प्रशंसा करते हुए जल्द ही खेकड़ा में उनकी प्रतिमा स्थापित करने और संग्रहालय मैं सहयोग देने का आश्वासन दिया है।
जिलाधिकारी जी से वार्ता करने में तेजपाल सिंह धामा,  लोकेश शर्मा,मनोज जैन,सचिन त्यागी,रजनीश तोमर जी साथ रहे ।

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