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ब्लॉक संसाधन केंद्र पर कागजों पर सिमट कर रह गया रेडिनेन्स व शारदा ट्रैनिंग कार्यक्रम बिना किसी उच्चाधिकारियों के प्

ब्लॉक संसाधन केंद्र पर कागजों पर सिमट कर रह गया रेडिनेन्स व शारदा ट्रैनिंग कार्यक्रम

बिना किसी उच्चाधिकारियों के प्रमीशन के एक ही परिसर में सम्पन्न हुआ ट्रेनिंग व चुनाव।

बाबागंज(बहराइच)। जनपद के विकास खण्ड नवाबगंज अंतर्गत बाबागंज ब्लॉक संसाधन केंद्र पर दो दिवसीय प्रशिक्षण भारी अनियमताओं के साथ आज से प्रारंभ हुआ। उक्त रेडिनेंस प्रशिक्षण के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के कमजोर बच्चों को विद्यालय में लाकर शिक्षकों द्वारा उनको अच्छी शिक्षा देने के लिए दो दिवसीय ट्रेनिंग प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत सरकार की मंसानुसार इस शारदा प्रशिक्षण के तहत आउट ऑफ स्कूल यानी स्कूल में न आने वाले बच्चों को उनके अभिभावकों से मिलकर विद्यालय में लाकर मूलभूत शिक्षा प्रदान किया जाए। लेकिन विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत व उदासीनता से यह ट्रेनिंग सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गई है। जो आज का यह बाबागंज ब्लॉक संसाधन केंद्र पर प्रशिक्षण राष्ट्रीय शैक्षिक चुनाव के भेट चढ गया और पूरा ब्लाक संसाधन केंद्र परिसर चुनावी अखाड़ा बन गया। सूत्रों की माने तो ट्रेनिंग के खर्चे से ही राष्ट्रीय शैक्षिक संघ का चुनाव भी कराया गया है। आज एक ही स्थान पर एक तरफ प्रशिक्षण की मात्र खाना पूर्ति रही, वहीं दूसरी तरफ चुनाव कार्यक्रम की वजह से प्रशिक्षार्थी सहित तमाम अध्यापकों का हुजूम एक दूसरे नेता के समर्थन में खूब गहमा गहमी के माहौल उत्पन्न कर चुनाव संपन्न कराने में जुटे रहे और संगठन के विजयी पदाधिकारियों के सम्मान में जश्न समारोह का हुड़दंग सम्पूर्ण परिसर देखने को मिला जबकि उक्त परिसर में ही एक बालिका जूनियर हाईस्कूल व एक कस्तूरबा विद्यालय साथ साथ संचालित है। अब सवाल  यह उठता है, क्या यह दोनों एक ही समय पर एक ही स्थान पर सम्पन्न कराया जाना उचित हो सकता है। यदि नही तो फिर कैसे सम्पन्न हुआ यह अपने आप में यक्ष प्रश्न बना हुआ है। जबकि जिम्मेदार अपने अपने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए जाँच कर आवश्यक कार्यवाही करने का खोखला दिलासा देते दिखे।  आपको बता दे कि जब 
इस बाबत में खण्ड शिक्षा अधिकारी नवाबगंज संतोष शुक्ला से बात की गई तो उन्होंने बताया के ट्रेनिंग अलग हो रही है। चुनाव तो हो सकता है। इसमे क्या दिक्कत हो सकती है। लेकिन मैं बाहर हूं पहुंच कर देखता हूं। वही दूसरी ओर जब इस बाबत डायट प्राचार्य उदय राज जी से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया।

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