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ज्ञानी राम मैमोरियल अस्पताल को लेकर 1 और बड़ा खुलासा, डॉक्टर के सी भट्टी का CCIM का रजिस्ट्रेशन भी निकला फर्जीआपने झोला

सफीदो: ज्ञानी राम मैमोरियल अस्पताल को लेकर 1 और बड़ा खुलासा, डॉक्टर के सी भट्टी का CCIM का रजिस्ट्रेशन भी निकला फर्जी

आपने झोलाछाप डॉक्टरों के बारे में तो सुना होगा लेकिन हम आपको झोलाछाप एक अस्पताल की असलियत बता रहे हैं। अस्पताल का डॉक्टर बिना किसी डिग्री डिप्लोमा के 6 साल से मरीजों का फर्जी इलाज कर रहा है। अस्पताल के अंदर जो मेडिकल स्टोर है उसने दवाइयां देने के लिए एक ढाबा संचालक को नियुक्त किया गया है। अब ऐसे में आप साफ अंदाजा लगा सकते हैं की अस्पताल में आने वाले मरीजों की जान के साथ कितना खिलवाड़ होता होगा।

बिना डिग्री के डॉक्टर चला रहा आईसीयू
ढाबा मालिक बेच रहा मेडिकल स्टोर पर दवाइयां, स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के बावजूद चल रहा अवैध धंधा।

सफीदों के ज्ञानी राम मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टर की फर्जी डिग्री का मामला कुछ दिन पहले सामने आया था तो आप अस्पताल में चल रहे मेडिकल स्टोर को लेकर भी बड़ा खुलासा हुआ है।

स्वास्थ्य विभाग की जांच में सामने आया कि अस्पताल में मौजूद मेडिकल स्टोर का मालिक एक ढाबा चलाने वाला व्यक्ति है ,जिसने एक फार्मासिस्ट महिला से लाइसेंस किराए पर लिया है। स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट में जांचकर्ता डॉक्टर पाले राम ने लिखा के अस्पताल में चल रहे मेडिकल स्टोर पर जिस फार्मासिस्ट का लाइसेंस लगाया गया है वह महीने में एक या दो बार आती है उनके स्थान पर एक ढाबा चलाने वाला दीपक नामक व्यक्ति जो मात्र दसव पास है लोगों को दवाइयां देता है। जोकि नियमों के खिलाफ है।

डॉक्टर पाले राम ने स्वास्थ्य विभाग को कहीं पेज की रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें अस्पताल को लेकर गंभीर टिप्पणियां की गई हैं।

 सप्ताह पहले जब सोशल मीडिया पर डॉक्टर की फर्जी डिग्री को लेकर एक रिपोर्ट वायरल हुई थी उसके बाद अस्पताल के डॉक्टर के सी भट्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई देते हुए कहा था कि उसने बीएएमएस की डिग्री की हुई है और जिसे उसने CCIM में रजिस्टर करवाया हुआ है। जिसके लिए उसने सर्टिफिकेट की कॉपी भी प्रस्तुत की।

आरटीआई कार्यकर्ता सुधीर जाखड़ ने जब सीसीआईएम से यह जानकारी मांगी तो एक और बड़ा खुलासा सामने आया कि सीसीआईएम तो 2018 के बाद से अस्तित्व में ही नहीं है। यह संस्था ने 12 जून 2018 को उनसे संबंधित सभी सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया था। बड़ी बात यह है कि 2018 से पहले सीसीआईएम से रजिस्ट्रेशन से पहले हरियाणा मेडिकल आफ काउंसिल से रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी था।

स्वास्थ्य विभाग पर उठ रहे सवाल

भले ही शिकायतकर्ता सुधीर जाखड़ की शिकायत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने इस फर्जी अस्पताल की जांच करवाई और जांच में डॉक्टर को दोषी ठहराया लेकिन इससे बड़ी बात यह है कि अभी तक इस अस्पताल को गोविंद सेंटर जैसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई थी। हालांकि कोविड-19 के दौरान इस अस्पताल में मरीजों की मौत के बड़े आंकड़े सामने आए थे। एक बार स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच करने के लिए भी पहुंची थी। इसके बावजूद अस्पताल पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हुई।

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